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Rashmi Sinha

Romance

4  

Rashmi Sinha

Romance

मीठी छुरी

मीठी छुरी

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ये चूड़ियों की खन खन, 

माथे की बिंदिया औ'

पायल की रुनझुन,

वो झुका देना आंखों को,

चलाना नयनों के बाण,

हीरे सी चमकती,

खिलखिलाती सी हंसी,

और सलज्ज मुस्कान,

कभी वाकपटुता---

क्या यही हैं मीठी छुरी के निशान?

रुकिए जरा, और भी तो हैं

मीठी छुरी----

फाग की रुत और न बताऊँ?

ये बात है बुरी,

वो सरसरी नज़र, और देख जाना सब कुछ,

वो जानबूझकर झुकना--

वो कपड़े पसंद कर रही नाजनीन को,

अपनी पसंद बताने रुकना,

दोस्तों का संग त्याग,

किसी की खातिर रुकना,

अदाएं उनको भी आती हैं,

और प्रशंसा के कसीदे काढ़ना?

 जुबां उनकी भी --

मीठी छुरी हो जाती है,

दिल पे चलती है, दिल चुरा ले जाती है.



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