क्या थी होली, क्या हो ली, फिर भी हैप्पी वाली। क्या थी होली, क्या हो ली, फिर भी हैप्पी वाली।
मोहन खेलत फाग सखी वृषभानु लली शर्माय रही। रंग अबीर गुलाल उड़े नभ प्रेम छटा हर्षाय रही। मोहन खेलत फाग सखी वृषभानु लली शर्माय रही। रंग अबीर गुलाल उड़े नभ प्रेम छटा हर्...
तुम हो होली के जैसी, हूँ मैं फाग सा, तुम हो गीतों सी ग़ज़लों सी मैं राग सा तुम हो होली के जैसी, हूँ मैं फाग सा, तुम हो गीतों सी ग़ज़लों सी मैं राग सा
कली चटकी भौंरे थे मतवाले महक लुटी। कली चटकी भौंरे थे मतवाले महक लुटी।
कवि छेड़ता अब मीठी तान, कविता की खिल उठी मुस्कान। कवि छेड़ता अब मीठी तान, कविता की खिल उठी मुस्कान।
देने सुगंध का पता, चली बसंत बयार पता प्रेम को दे गयी, महक अजब उपहार देने सुगंध का पता, चली बसंत बयार पता प्रेम को दे गयी, महक अजब उपहार