जीवन के रंग
जीवन के रंग
ईश्वर एक कुम्हार है,
और ये कुम्हार जब,
सृजन की प्रक्रिया से गुजरता होगा,
निसन्देह वो स्त्री की,
संतान को जन्म देने की प्रक्रिया में
उठाये कष्ट से कम न होगा,
मिट्टी सने हाथों से----
मस्तक पर चुहचुहा आये,
स्वेद कणों को पोछा होगा,
प्रकृति हो या इंसान---
ऊपर से नीचे तक निहारा होगा,
कमी को, फिर से सुधारा होगा,
और नदियां, जंगल, पुष्प ,हवा,
सितारों भर आसमान,
सूरज औ' चांद,
तृप्ति के अनगिनत रंग---
चेहरे पे लहराए होंगे---
प्राण फूंक कर ही,
चैन के कुछ श्वास आये होंगे---
ठीक ऐसे ही हैं, जीवन के रंग--
कुम्हार का चाक, विरासतन,
मानव के हाथों में आया होगा,
बेशुमार रंग भरने की खातिर,
ठोकर भी खाया होगा,
थका होगा, झल्लाया होगा---
पर विरासत को अक्षुण्ण रखने में,
जान लड़ाया होगा,
समझ गया होगा--
जीवन में रंग,
छटा बन तब ही छाते हैं,
जब प्रयास रंग लाते हैं,
ये "जीवन दर्शन" ही तो,
अपने सृजन को समझाना है,
अपना रंगीन आकाश---
खुद से ही बनाना है।