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Rashmi Sinha

Classics

4  

Rashmi Sinha

Classics

जीवन के रंग

जीवन के रंग

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ईश्वर एक कुम्हार है,

और ये कुम्हार जब,

सृजन की प्रक्रिया से गुजरता होगा,

निसन्देह वो स्त्री की,

संतान को जन्म देने की प्रक्रिया में

उठाये कष्ट से कम न होगा,

  मिट्टी सने हाथों से----


मस्तक पर चुहचुहा आये,

स्वेद कणों को पोछा होगा,

 प्रकृति हो या इंसान---


ऊपर से नीचे तक निहारा होगा,

 कमी को, फिर से सुधारा होगा,

और नदियां, जंगल, पुष्प ,हवा,

 सितारों भर आसमान,

सूरज औ' चांद,

तृप्ति के अनगिनत रंग---


चेहरे पे लहराए होंगे---

प्राण फूंक कर ही,

चैन के कुछ श्वास आये होंगे---

ठीक ऐसे ही हैं, जीवन के रंग--

कुम्हार का चाक, विरासतन,

मानव के हाथों में आया होगा,

बेशुमार रंग भरने की खातिर,

ठोकर भी खाया होगा,

 थका होगा, झल्लाया होगा---


पर विरासत को अक्षुण्ण रखने में,

  जान लड़ाया होगा,

समझ गया होगा--

  जीवन में रंग,

छटा बन तब ही छाते हैं,

जब प्रयास रंग लाते हैं,

ये "जीवन दर्शन" ही तो,


अपने सृजन को समझाना है,

अपना रंगीन आकाश---

खुद से ही बनाना है।


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