श्रीमद्भागवत-२४०;कुवलीयापीड का उद्धार और अखाड़े में प्रवेश
श्रीमद्भागवत-२४०;कुवलीयापीड का उद्धार और अखाड़े में प्रवेश
श्री शुकदेव जी कहते हैं परीक्षित
रंगभूमि में नगाड़े जब बज रहे
कृष्ण बलराम दंगल को देखने
रंगभूमि की और चल दिए ।
रंगभूमि के दरवाज़े पर
कुवलीयापीड हाथी खड़ा देखा
‘ हट जाओ, हमें रास्ता दे दो ‘
ललकार कर महावत को ये कहा ।
महावत क्रोध में तिलमिला उठा
उसने भयंकर उस कुवलीयापीड को
क्रुद्ध करके अंकुश की मार से
बढ़ा दिया कृष्ण की और को ।
कृष्ण को सूँड़ में लपेटा हाथी ने
कृष्ण निकल गए, घूँसा मारा उसे
उसे घसीटने और घुमाने लगे
पूँछ पकड़कर खेल खेल में ।
क्रोध में जल भून रहा वो
भगवान कृष्ण पर झपट पड़ा
सूँड़ पकड़कर उसकी कृष्ण ने
धरती पर उसे पटक दिया ।
पैरों से दबाकर उसको
उखाड़ लिए उसके दांत थे
उन्ही से हाथी और महावतों को
मार दिया अपने हाथों से ।
हाथ में दांत लेकर हाथी के
कृष्ण प्रवेश करें रंगभूमि में
कंधे पर वो दांत रखा है
शरीर पर थीं रक्त की बूँदें ।
मुखकमल पर पसीने की बूँदें
शोभा उनकी थी निराली
दर्शन किए पुरवासीयों ने उनके
अपने अपने भावनुसार ही ।
वैसे तो कंस बड़ा वीर था
फिर भी जब उसने देखा ये
कि कुवलीयापीड को मार दिया दोनों ने
सोचे वो कैसे जीतूँगा इन्हें ।
उनका सौंदर्य, गुण, माधुर्य देख
स्मरण कर लीलाओं का उनकी
सोचे कि नारायण के अंश हैं
कृष्ण और बलराम दोनो ही ।
वासुदेव के घर अवतीर्ण हुए
कृष्ण हुए देवकी के गर्भ से
बहुत दिनों तक नन्दबाबा के
घर में छिपकर रहे वे ।
कई दैत्यों का वध किया इन्होंने
गोपों को दावानल से बचाया
कालियनाग का दमन किया
गोवर्धन पर्वत था उठाया ।
यदुवंश की ये रक्षा करेंगे
और जो बलराम जी हैं ये
प्रालंबासुर, वत्सासुर और
बकासुर को मारा इन्होंने ।
उसी समय रंगभूमि में
चाणूर ने दोनों से कहा
वीर तुम आदरणीय हो
कुश्ती लड़ने को तैयार हो ना ।
तुम्हारा कौशल देखने के लिए
यहाँ बुलाया महाराज ने तुमको
अब तुम दोनो कुश्ती लड़ोगे
प्रसन्न करने के लिए उनको ।
श्री कृष्ण तो चाहते ही थे
कि इनसे दो दो हाथ करें
कहें चाणूर, हम अवश्य ही
ऐसा प्रयत्न करना चाहेंगे ।
किन्तु चाणूर, हम तो अभी बालक
कुश्ती लड़ेंगे हम बालकों से ही
चाणूर कहे, तुम ना बालक ना किशोर हो
श्रेष्ठ हो हम बलवानों से भी ।
हज़ार हाथियों का बल रखने वाले
कुवलीयापीड को मारा खेल खेल में
इसलिए तुम्हें हम जैसे ही
बलवानों से लड़ना चाहिए ।
इसमें अन्याय की कोई बात नहीं
तुम मुझपर ज़ोर आज़माओ
मुष्टिक कुश्ती लड़ेगा इनसे
तुम्हारे भाई बलराम जी हैं जो ।