हिंदी
हिंदी
जैसा लिखते हैं, वैसा उच्चारण,
अति सरल इसका, है स्वरुप।
एक वर्ण की एक ध्वनि है,
और कोई वर्ण ना रहता मूक।।
अलंकार है वो गहने
जिसने हिंदी को खूब सजाया।
और अलंकृत हिंदी बोली जिसने
हिंद में उसने मान भी पाया ।।
हिंदी है हम ! हिंदी है हम !
वतन है।
हिंदोस्तां हमारा हमारा !
हिंदी में तो सर्वनाम सुन
किसी को भी ये ज्ञात हो जाए।
इतनी लम्बी लम्बी कहानी,
राजा भैया किन संग बतियाए।
"तू" का किस्सा यारों संग है
"तुम" याने कोई प्रेम प्रसंग है।
"आप" लिखे किसी साहेब को
या देखे सामने कोई दबंग हैं।
