Dhan Pati Singh Kushwaha

Abstract Classics Inspirational

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Dhan Pati Singh Kushwaha

Abstract Classics Inspirational

कोई बहला सके हमें न

कोई बहला सके हमें न

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कोई बहला सके हमें न,

हमको रखना यह ध्यान।

सुनकर नहीं श्रम करके,

सच का पाएं खुद ज्ञान। 


कभी डरा या स्वप्न दिखा,

वे तो हमको बहलाते हैं।

कर्ज माफी और मुफ्त की,

रेवड़ियों का जाल बिछाते हैं।

उनको चुनते हम अपना नेता,

मृग मरीचिका के सम जान।


कोई बहला सके हमें न,

हमको रखना यह ध्यान।

सुनकर नहीं श्रम करके,

सच का पाएं खुद ज्ञान।


निज अनुभव से कर लें शोध,

विपक्षियों को करना है विरोध।

दल की कोई नीति दूसरा लाए तो,

अपनी नीति के हित जनते गतिरोध।

नीति का कानून जो हमें लाना था,

तुम लाए तो अब हम नहीं सकते मान।


कोई बहला सके हमें न,

हमको रखना यह ध्यान।

सुनकर नहीं श्रम करके,

सच का पाएं खुद ज्ञान।


सी ए ए तीन सौ सत्तर,

और किसानों के कानून।

अग्निवीर सहित सब उत्कृष्ट ,

तुम लाए हो खौलता है खून।

इसे गलत सिद्ध करने बहकाने,

हैं युवा ज्यों बहकाए थे किसान।


कोई बहला सके हमें न,

हमको रखना यह ध्यान।

सुनकर नहीं श्रम करके,

सच का पाएं खुद ज्ञान।


जो तुम ले आए रामराज्य,

तो ये कौन सी रोटी सेकेंगे ?

हर हथकंडा अपनाएंगे,

तुम्हें विपक्षी उखाड़ फेंकेंगे।

हे आर्य वीरों! जागो शांत हो,

लो इन षड्यंत्रों को पहचान।


कोई बहला सके हमें न,

हमको रखना यह ध्यान।

सुनकर नहीं श्रम करके,

सच का पाएं खुद ज्ञान।


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