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Navneet Goswamy

Abstract Drama Tragedy

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Navneet Goswamy

Abstract Drama Tragedy

मायका

मायका

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बहुत दिनों के बाद है आयी,

बिटिया अपने गांव बिन AC के मिली है ठंडक जब मिली

पीपल की छाँव ये टेढी - मेढी पगडंडी घर को सीधी जाती है,

कुछ सूरतें जानी पहचानी माई को खबर पहुचाती है। माँ का घर,


जैसे जन्नत, इस पल के रुक जाने की,

मांगू सदा मैं मन्नत।माई के घर आते हीबचपन फिर से लौट आता,

चेहरे पर मुस्कान विचरती और गम कोने में सो जाता। 


लाड दुलार चहुँ ओर बरसता उदासियों का यहाँ कोई ज़ोर ना चलता। 

दादी बालों को सहलाती कई सीख सयानी बतलाती। 

कभी कहानी सुनती वो मेरी और कभी अपनी बात बताती। 


माँ के घर में हँसी, ठिठोली और ठहाके माँ - बेटी करती दुःख अपने सांझे। 

जब भी बिटिया आती मायके। 


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