खुश नहीं है वो
खुश नहीं है वो
आया परीक्षाफल, दी थी परीक्षा खास,
अंक मिले हैं कम,हाथ लगी है निराश।
खुश नहीं है वो, पर किसको कहे अब,
दौड़ता हुआ पहुंचा, अपने गुरु के पास।।
दिन रात काम किया, नेता की हुई हार,
लगता है वोटर का, अब नहीं रहा प्यार।
खुश नहीं है वो नेता,रोता मिलता बेचारा,
उस पर वोटर का भी बड़ा ऋण है उधार।।
खुश नहीं है वो नारी,मिला ना अधिकार,
जूती समझा पैर की, मिला ना जहां प्यार।
सदियों से शोषित है, किसकी सभा जाये,
एक ओर नारी को, जीवन में कष्ट हजार।।
खुश नहीं है वो युवा, दर दर खाता ठोकर,
नौकरी घट गई, कौन बनाकर रखे नौकर।
पढ़ लिखकर भी युवा, मुश्किल से जीता,
रूखी सूखी खा लेता , ठंडा पानी पीता।।
खुश नहीं है वो कर्मी, वेतन मिलता कम,
नौकरी में पेंशन नहीं, निकल गया है दम।
कहां जाये वक्त का मारा,रोटी की है चिंता,
घर और बाहर जाये, मिलते गम पर गम।।
खुश नहीं है वो मात पिता,बच्चे बेरोजगार,
थोड़ा बहुत कमाता है, कष्ट मिलते हजार।
दिन रात चिंता में डूबा, कौन हरेगा कष्ट।
कितने अरमान दिल में, सारे हो गये नष्ट।।
खुश नहीं है वो शिक्षक, पढ़ते बच्चे कम,
रिजल्ट आता खराब, इसका भारी है गम।
मार पीट,प्रोत्साहन भी, हो गये अब फेल,
देख देख बच्चों की हरकत, आंखें है नम।।
खुश नहीं है वो जन, जिसमें संतुष्टि नहीं,
धन कमाता जमकर, रुकता मन ना कहीं।
दिन रात करता काम, नहीं मिलता आराम,
कोई कहता गलत है तो कोई कहता सही।।