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Suresh Kulkarni

Classics

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Suresh Kulkarni

Classics

बरखा

बरखा

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काली बदरा है छायी

लेवत बरखारानी अंगडाई

चलत दिवानी पवन साई साई

तन मन नाचे ता ता थाई

काली बदरा है छायी


आयी बहार फुहार लायी

मन करत है अपनी मनमानी

डोलत मन संग डारी डारी

डारी डारी बहार आई

काली बदरा है छायी 


शाम सुहानी ऋत प्यारी आयी

पवन करे है धाई धाई

बदरामे बिजुरी बलखाई

काली बदरा है छायी।


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