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Suresh Kulkarni

Classics

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Suresh Kulkarni

Classics

होरी

होरी

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ना खेलूंगी मैं होरी

मुझे छेड़ो ना सैया

जिया घबराये हाय...!


काहे करत ओ कान्हा

तुम बरजोरी ?

ना खेलूंगी मै होरी !


डारत हो रंग दुनिया भर के !

गुलाल उड़ाए हो जी भर भरके !

नाजुक मेरी काया थिरके !

ये आँखें भी हुई लालेलाल !


ना खेलूंगी मै होरी

मुझे छेड़ो ना सैया

जिया घबराये हाय ...

काहे काहे करत ओ कान्हा

तुम बरजोरी !

ना खेलूंगी मैं होरी !



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