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sonu santosh bhatt

Romance Classics

4  

sonu santosh bhatt

Romance Classics

गलती क्या थी मेरी

गलती क्या थी मेरी

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कभी महसूस किया मुझे आपने ।

कभी ख्याल में आपके भी आया क्या?

कभी मेरी आवाज में खुद का नाम सुना आपने,

कभी आपको छेड़ा या धमकाया क्या?

कभी पीछा किया मैंने बताओ।

कभी आपके पीछे पीछे आया क्या?

कभी किसी गाने को आपके आगे

सिर्फ आपको सुनाने के लिए गुनगुनाया क्या?

कभी पकड़ा हाथ आपका

कभी गली के चौराहे में आपको सताया क्या?

आपको पसंद करता होगा दिल मेरा

मैं खुद नही जानता। 

कभी इस दिल ने आपको बताया क्या?

कभी कोई बात की आपसे

बात करना चाहता हूँ कभी जताया क्या?

कभी आपको देखकर आंख मिंची हो,

बताओ आपके आने पर कभी सिटी बजाया क्या?

कभी रोज डे पर फूल

या चोकोलेट, टेड्डी  कुछ लाया क्या?

कभी आप अपने लिए बचाकर लाये थे ।

आपके हिस्से का कुछ चुराकर खाया क्या?

चलो आपके लिए ना सही

ये बताओ

कभी आपकी सहेली के लिए कोई गाना गाया क्या?

कभी कुछ भी नही किया

कुछ नही करने के बाद भी 

मैंने पाया क्या….

बोलो मैंने पाया क्या?

आज मैं गुनहगार हूँ,

क्योकि जमाना सिर्फ आपकी बात सुनेगा।

मेरी बात पर कौन यकीन करेगा।

सच बताऊ मैंने क्या किया आपके लिए।

मैंने तो सिर्फ शायरियों में लिखा आपको

शायरियां इशारों में चलती थी।

आपका नाम किसी को पढ़ाया क्या?

आपने बिना झगड़े के जंग छेड़ दी

मैं चुप था, मैंने जंग को बढ़ाया क्या?

सितम आप पर नही मुझपर हुआ करते थे।

लेकिन मैं जानता था कि ये दिल का रोग है।

जिसे चुपके से गटक गया,

क्या दिलो दिमाग मे अपने चढ़ाया क्या?

अगर जवाब दे सको तो बस इशारों से दे देना। 

मैं चुप हूँ, मैंने कोई राज खुलवाया क्या?

पत्ते की तरह है जिंदगी, सदाबहार जब जिंदगी नही 

तो रह पाएगी सदाबहार इसकी छाया क्या?

मैं क्यो मौन हूँ, 

मैं किसका कितना कौन हूँ

कभी खुद अपने लफ्जो से बताया क्या?



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