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sonu santosh bhatt

Comedy Romance

4  

sonu santosh bhatt

Comedy Romance

पोछेवाली के प्यार में

पोछेवाली के प्यार में

3 mins
230

प्रस्तुत है प्यार का अनोखा जॉनर

फंस गया पोछेवाली के चक्कर में ओनर

कहते है प्यार ना देखे जात पात और धर्म

और इसकी कहानियां भी होती बेहद मर्म

वैसे तो विशाल बाबू बड़े एटीट्यूट वाले थे।

अपने जीजाजी की दुकान अकेले संभाले थे।

क्योंकि जीजाजी की थी सरकारी नौकरी

और विशाल बाबू उनके इकलौते साले थे।

दुकान थी बड़ी होलसेल, चीजें मिलती वहां सस्ती

दो चार नौकर रखकर, विशाल करता मस्ती।

लेकिन फिर एक दिन एक आई उस रास्ते

एक अनपढ़ युवती सुंदर सी, काम के वास्ते

जब पूछा कि क्या क्या कर सकती हो

तो उसका जवाब आया थोड़ा अजीब

बाबूजी मैं ठहरी थोड़ी गरीब

काम सब आता है, जो आप करवा लो

झाड़ू, पोछा या फिर पानी भरवा लो

सुनकर विशाल बाबू हुए हैरान

लड़की की सुंदरता देखकर हुए परेशान

इतनी सुंदर लड़की पोछेवाली है

ये तो डायरेक्ट इसकी सुंदरता को गाली है।

विशाल बाबू थोड़ा फ्लैशबैक में जाते हुए

कल्पना के परिदृश्य से देखने लगे सपने सजाते हुए

वो लड़की बैठी बिलिंग पर 

कंट्रोल नहीं था विशाल बाबू का

अपनी इस फीलिंग पर।


देखता रहा, निहारता रहा उस बिल वाली को

और कुछ कुछ बाते कहता रहा उस दिल वाली को

एक आवाज आई जिसने विशाल का सपना तोड़ दिया

विशाल ने आवाज की तरफ गर्दन मोड़ लिया

"बाबूजी काम देना है तो कहिए, 

मैं कोठी मैं काम छोड़ के आई हूँ,

बाहर जाने का बहाना ना मिला

वाईपर का डंडा तोड़ के आई हूँ

वाइपर लेने के बहाने आ गयी इस साक्षात्कार के लिए

अब वापसी में वाइपर लेकर जाना है।

आप बताइए कि क्या कल से पोछा लगाना है।

क्या कल से झाड़ू लगाने आना है।

विशाल बाबू चकराए

आंखें मल मल के खुद को होश में लाये

उसे लगा जैसे ये कोई हो रहा हो प्रेंक

फिर भी उसने एक बार होकर बोला फ्रैंक


क्या तुम कम्प्यूटर चलाना जानती हो

क्या तुमसे स्मार्ट फोन चलाया जाता है

क्या तुम कर सकते हो हिसाब किताब

क्या तुम्हें गणित थोड़ा बहुत आता है।

ये सुनकर लड़की परेशान हो गयी 

दुकानों में पोछा कम्प्यूटर से लगते है

यही सोचकर हैरान हो गयी।

ना बाबूजी ना! मैं तो वाइपर से पोछा लगाऊंगी

अगर वाइपर से लगवाना है तो ही कल से आऊंगी।

मुझे नहीं कम्पुटर सिस्टम भाता

मैं तो बचपन से पोंछा वाइपर से लगाती।

विशाल बाबू ने सुनकर उसकी बात

माथा ठनका, किससे हो गयी मुलाकात

शायद इसे धीरे धीरे समझाना पड़ेगा

पहले इससे पोछा ही लगवाना पड़ेगा

यही सोचकर विशाल ने आवाज लगायी

रामू काका, दो मजबूत क्वेलिटी के वाइपर ले आओ

कान बन्द करते हुए वो लड़की बोली

बाबूजी मुझे एलर्जी है चीख से, यूं ना चिल्लाओ

फिर थोड़ी शांति से विशाल ने वाइपर मंगवाए

और फिर कर दिया गिफ्ट पोछेवाली को

ये ले जाओ कोठी में फेंक देना जो तोड़कर थे आए

दे आओ उन्हें, और कल से यहां आ जाना

उस काम को टाटा बोलकर अलविदा कह आना

अब तुम यही रोज काम करोगी

अलग अलग जगह जाने की जरूरत नहीं

यही थकोगी यही आराम करोगी।


शायद विशाल बाबू ने सोच लिया कि उसे आगे पढ़ाना है।

उन्हें जरूरी से लगा, की उसे कंप्यूटर सिखाना है।

लेकिन अभी ये बात नहीं बताई पोछेवाली को

उसे ये बतलाया कि उसे पोछा ही लगाना है।

अगर बतलाते तो शायद वो ना आती

कम्प्यूटर के नाम पर उसके पसीने छूट जाते

पोछेवाली को स्टाइलिश गर्ल बनाने का

जो सपना विशाल बाबू देखे , वो खुद ही में टूट जाते

लेकिन विशाल बाबू ने ना छोड़ा मौका

मौके पर मारा चौका

लड़की धीरे धीरे दुकान में आने लगी।

विशाल बाबू लगा लेते पोछा कभी

और वो कम्प्यूटर कभी कभी चलाने लगी।

विशाल बाबू कब इतने बदल गए 

किसी को पता ही नहीं लगा 

कब कैसे पोछेवाली के रंग में ढल गए।

जाने कैसे उनको हुआ ये इश्क

कब बिना पोछे के फर्श में फिसल गए

अब उनका दिल लग गया था दुकान में

वरना पहले वो मजबूरी में रहते थे।

अब वो पूजा करते दुकान की

पहले उसे छोड़ देने की बात कहते थे।

वक्त के साथ क्या से क्या हो गया

विशाल बाबू का दिल खो गया।

ये था प्यार का अनोखा जॉनर

फंस गया पोछेवाली के चक्कर में ओनर



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