शादी मत करना यारों
शादी मत करना यारों


सुबह उठकर वो चाय लाए
और शाम को मेरे पैर दबाए
जाने क्या क्या शादी से पहले
मैंने कितने ही थें ख्वाब सजाए
अब शादी के बाद सुबह उठकर
मैं ही हर रोज चाय बनाता हूं
बीवी तो आ ही गयीं है लेकिन
उसके पैर अब मैं ही दबाता हूं
सोचा था ख्वाबों में कि वो आएगी
खाना बनाकर हाथों से खिलाएगी
हाँ, खाना तो खिलाती हैं लेकिन
पता नहीं था कि मुझसे ही बनावाएगी
मैं पहले खुद को राजा कहता था
पर रानियों जैसे शौक वो रखतीं हैं
मैं नौकरों जैसे काम करता हूँ तो
वो मुझे अपना पति कहतीं हैं
शादी के लड्डू ना खाता तो अच्छा
अब खाकर भी पछताना कैसा
शादी ना की होती तो मजा मिलता
मुझे जिंदगी का वहीं पहले जैसा
मेरी बात तो तुम सुनोगे नहीं
फिर भी शादी के ख्याल को मारो
मैने तो कर ली है ये गलती पर
तुम तो शादी मत करना यारों!