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sonu santosh bhatt

Inspirational

4.5  

sonu santosh bhatt

Inspirational

मैं भी एक बेटी का बाप हूँ

मैं भी एक बेटी का बाप हूँ

3 mins
590


एक ख्वाब उसकी आँखों मे पलता होगा

हर रोज जो जिम्मेदारी का बोझ लेकर चलता होगा

और एक डर हमेशा उसे सताता होगा

मैं भी हूँ एक बेटी का बाप,

फिर भी गर्व से वो बताता होगा।

अपनी चाहतों को छिपाकर

चेहरे में हल्की मुस्कान लाकर

अपने सीने के जख्मो को छिपाता होगा

माँग छोटी से छोटी पूरी करने के लिए

अपनी बेटी के लिए सपने खरीदकर लाता होगा

मैं भी हूँ एक बेटी का बाप,

फिर भी गर्व से वो बताता होगा।

जो रीत नापसंद हो लड़की को

दुनिया से लड़कर उसे झुठलाता होगा

ये तो इंसान की ही बनाई बातें है

ऐसा सबको वो बतलाता होगा।

उम्र जीने की आजादी

और बचपन के ख्वाब बिटिया के

पूरा करने को जी जान वो लगाता होगा

मैं भी हूँ एक बेटी का बाप,

फिर भी गर्व से वो बताता होगा।

देखकर दूसरों की लड़की को

उनके अद्भुत ऐश-ओ-आराम को

फिर नजर डाले अपने घर के हालातों पर

मन उसका भर आता होगा

बेटी के खिलौने के लिए होने वाली जिद की

वजह वो समझ जाता होगा

मैं भी हूँ एक बेटी का बाप,

फिर भी गर्व से वो बताता होगा।

धीरे धीरे उम्र की दहलीज पार होने पर

चिंता सताती होगी जब तक आये ना वो घर

लड़की को कब तक दोगे आजादी

अब लड़की जवान होने लगी है

शादी कर दो बिटिया की

कुछ इस तरह समाज उसे भी भड़काता होगा।

दुनिया की नजर अपनी बेटी की जवानी में पाकर

मन उसका घबराता होगा

मैं भी हूँ एक बेटी का बाप,

फिर भी गर्व से वो बताता होगा।

चलो दुनिया की बातों में कौन ध्यान दे

इनका तो काम ही है कहना

मुझे अब नही सोचना इनके बारे में

इनकी बातों से मुझे दूर ही है रहना

ये सोच सोच के वो अपने मन को बहलाता होगा।

फिर भी वो बाते उनकी, सोचता जाता होगा

मैं भी हूँ एक बेटी का बाप,

फिर भी गर्व से वो बताता होगा।

कुछ अरमान मेरे दफन हो गए तो क्या

उसकी खुशी और मुस्कान, छीन मैं ना पाऊँगा

खुद की सोचूँ तो तकलीफें भी मुस्करा उठेंगी।

और उसकी खुशी की ना सोचूँ तो मैं कहाँ जाऊँगा।

भले साथ बाप- बेटी का, पुत्री विवाह तक होगा

फिर भी वो अपनी किस्मत पर इठलाता होगा

मैं भी हूँ एक बेटी का बाप,

फिर भी गर्व से वो बताता होगा।

अब वो अंत मे अपनी बेटी से कहता है की

कागज थी तुम, की खाली कागज थी तुम

लिखता रहा मैं, कुछ संस्कार तो कुछ रिवायतें

बदलता रहा तुम्हें धीरे धीरे, मगर

तुमने बिन लिखे बदल दी मेरी आदतें।

मैं गुरु से कब चेला बना, और तुम गुरु बन गयी

मैं हिफाजत करता था तुम्हारी

और कब तुम ही मेरी ताकत बन गयी।

अब दूर भी है दोनो थोड़ी तो क्या हुआ,

मेरी बेटी को उसका बाप याद आता तो होगा।

मैं भी हूँ एक बेटी का बाप,

अब भी वो गर्व से सबको बताता तो होगा।



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