sonu santosh bhatt

Romance Others

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sonu santosh bhatt

Romance Others

बहती भी है नजर आती क्यों नहीं

बहती भी है नजर आती क्यों नहीं

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कुछ हवा सी है मोहब्बत तेरी

बहती भी है नजर आती क्यों नहीं

और मैं तुझमें ढूंढता हूँ इश्क की रोशनी

तू इश्क के दीपक जलाती क्यों नहीं। 

एक दिन आसमान को घूरकर मैंने डाँट दिया

मैं जहां जाऊँ वहां से वो नजर आता था। 

मुझे लगा उसने तेरी अदा चुराई है। 

लेकिन आसमान है हर पल साथ जमीं के

उसकी ये अदा तू चुराती क्यों नहीं।

मुझसे खफा हो, अगर खुदा मेरा

मैं खुद से उसे नहीं मनाऊंगा

जो रूठ जाए तू, हो जाये रुसवा कभी।

मैं गहन तन्हाई में घिर जाऊंगा।

तुझे मनाने को सौ रास्ते अपना लेता हूँ

मगर जब कभी मैं रूठ जाता हूँ तुझसे

तो तू कभी मुझे मनाती क्यों नहीं।

कुछ लफ्ज़ आज भी गुलाब की पंखुड़ी से

मेरे लबों पर हल्की पकड़ बनाये है

तैयार है तारीफ में तेरी गिरने को

शायद लबों पर तेरे लिये ही आये है। 

तू कुछ आंधी संग आकर, सामने मेरे

मेरे लब से पंखुड़ी गिराती क्यों नहीं

कुछ हवा सी है मोहब्बत तेरी

बहती भी है नजर आती क्यों नहीं

और मैं तुझमें ढूंढता हूँ इश्क की रोशनी

तू इश्क के दीपक जलाती क्यों नहीं। 

हो सके तो कर दे बयाँ चाहत अपनी

चाहतों को छिपायेगी तो तड़पेगी मेरी तरह

या मैं इंतजार में इजहार के तड़पता रहूँगा

और अगर ना हो कहना कुछ तो भी चुप ना रह

ना कुछ बोलने की बता दे वजह

तड़पता मैं खुद हूँ, 

तू आकर अपने एहसासों से तड़पाती क्यों नहीं

है क्या छिपा अंदर दिल के

कभी आकर मुझे बताती क्यों नहीं। 

कुछ हवा सी है मोहब्बत तेरी

बहती भी है नजर आती क्यों नहीं

और मैं तुझमें ढूंढता हूँ इश्क की रोशनी

तू इश्क के दीपक जलाती क्यों नहीं। 


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