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sonu santosh bhatt

Tragedy Classics Inspirational

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sonu santosh bhatt

Tragedy Classics Inspirational

बेटी कहाँ कर पायेगी बराबरी

बेटी कहाँ कर पायेगी बराबरी

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मेरी बेटी ने एक दिन मेरे से पूछा

पापा! दुनिया में ऐसा क्या है?

जो लड़का कर सकता है लड़की नहीं

मैं हैरान था सवाल से उसके,

और अनुमान लगाने लगा

अम्म्म…….?


पता नहीं। बहुत सोचा मगर सूझा नहीं।

कैसी पहेली पूछ ली जो मेरे से बूझा नहीं।

आजकल सबकुछ तो कर रही लड़कियां

हर जगह लड़को की बराबरी कर रही है।

बहादुर हो गयी है अब लड़कियां

ना किसी की सुनती है, ना किसी से डर रही है।


हर काम मे आगे है, कोई काम नहीं छोड़ा

जो काम सिर्फ लड़के कर सकते थे इतिहास में

लड़को का वो रिकॉर्ड भी तोड़ा।

चल रही बराबर, पढ़ाई , खेल हो या राजनीति

फिल्मी जगत में भी देखो उनका धमाल

ऐश्वर्या, शिल्पा हिट हुई, आ गयी परनीति

खेल कूद में स्वर्ण पदक, ला रही है

लड़कियां भी तो चांद में जा रही है।


एवरेस्ट की चढ़ाई चढ़ रही है।

कुछ बनकर लेखिका,

कहानियां नयी गढ़ रही है।

फिर ऐसा क्यो पूछती हो

ऐसा कुछ बचा ही नहीं जो सिर्फ लड़के कर सकते है।


सीमाओं में भी बराबर लड़ रही है

देश के लिए सिर्फ लड़के नहीं लड़कियां भी मर सकते है।

मेरी बात सुनकर ध्यान से

कुछ अल्फाज चुराकर अपने ज्ञान से


मेरी बेटी ने कहा, पापा आप तो रहने दो

आपको नहीं पता अब भी

बहुत कुछ बचा है कहने को

जो लड़के कर सकते है लड़कियां नहीं

क्या कोई लड़की छेड़ सकती है ?

सड़क पर चल रहे अनजान, अकेले लड़के को

क्या कोई लड़की कर सकती है पीछा ?


क्या कोई लड़की उड़ा सकती है मजाक उसका

उसे छूने की कोशिश करेगी बिना उसके इच्छा

क्या किसी की बेटियां बनाकर टीम

करती पाई गई कभी ऐसी चाल

किसी लड़के को किडनैप करने बिछाते जाल

या कभी लेकर एसिड लड़के के पीछे पड़े

क्या कभी किये उसके कपड़ो के चीथड़े ?


या मिली फिर उसकी टुकड़ो में लाश

क्या ऐसे कोई उदाहरण है आपके पास?

क्या बेटी कभी किसी की बातों में आकर

अपने माँ बाप को बेवजह सता सकती है

हां अगर बन गयी वो बहु तो शायद


अज्ञानता उसकी सास ससुर को बुरा बता सकती है

लेकिन अपने माँ बाप को बेसहारा

एक बेटी घर से धकेल नहीं सकती है।

कुछ चालें ऐसी है जो लड़के खेलते सिर्फ

लड़कियां कभी भी खेल नहीं सकती है।


अपने माँ पापा के आंखों में आ जाये आंसू

ऐसी तकलीफ एक बेटी झेल नहीं सकती।

मैं खामोशी से सुनता रहा उसकी बातें

सामने बैठा बेटा भी सिर झुकाए बैठा था।


कुछ भी नहीं दी सफाई लड़को की तरफ से

ये बात और ज्यादा चुभ रही थी

शायद जब हुई बेटी मेरे घर

वो ही मेरे लिए शुभ घड़ी थी

बेटे ने कुछ नहीं कहा अपनी बहन को

शायद उसे खुद पर भी नहीं था भरोसा

बिगड़ा नहीं मेरा बेटा, है शर्मीला थोड़ा सा।


लेकिन कोई जवाब का नहीं होना

खुद ब खुद बहुत कुछ जताता है।

वो आवारा नहीं है, दोस्तो संग बताकर जाता है।

उसके दोस्त कैसे है ये मैं नहीं जानता हूँ।

पर कभी कोई शिकायत किसी घर से नहीं आई

किसी को छेड़ा या धमकाया नहीं आज तक

ना कभी किसी से होती उसकी लड़ाई।


लेकिन लड़की के सवाल में जान थी

उसके जवाब में भी दम था।

मैने जो जवाब दिया उसे उसके सवाल का

उसके जवाब से वो बहुत ही कम था।


बस अब सोच रहा हूँ यही की

अपने बेटे की झुकी नजरो को कैसे उठाउँ

जो बहन की बाते सुनकर शर्मिंदा थी।

मैं बोला बेटी से की बेटी !

बात तूने बढ़िया कही, तू रखना ध्यान अपना

ये काम सिर्फ लड़के करते है तो

लड़को से दूरी बनाए रखना

तेरे बाप और भाई हर जगह,

हिफाजत तेरी नहीं कर पाएंगे

खुद को मजबूत बनाना, खुद ही लड़ना


जमाना है खराब, फालतू चक्करों में ना पड़ना

बेटी ने फिर से मुझे झकझोर दिया

मेरी बात का जवाब देकर, मुझे तोड़ दिया

कहने लगी पापा! मैं खुद की हिफाज़त कर ही लुंगी

लेकिन आज भाई की झुकी निगाहों से लगता है

मैंने और भी बहुत लड़कियों को बचाया है


ये सवाल आपके लिए था, लेकिन जवाब भाई के लिए

नाम नहीं लुंगी किस किस को उसने सताया है।

लेकिन एक बात तो समझ मे आ गयी अनजाने में

कुछ ऐसे काम भी है जमाने में

जो बेटे कर सकते है वो बेटी नहीं कर सकती।


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