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sonu santosh bhatt

Romance

4  

sonu santosh bhatt

Romance

मुझे तेरे दिल मे घर चाहिए

मुझे तेरे दिल मे घर चाहिए

2 mins
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मुझे घर चाहिए तेरे दिल मे

और अपने घर मे तू चाहिए

बता दे मुझे कीमत अपनी

बदले में तुझे क्या चाहिए

एक सुकून दे मुझे

करार दे मेरे अल्फाज़ो को

तुम्हे सब कुछ बताऊंगा

बस अपने तक रखना मेरे राजों को

और कर ले यकीन मुझपे

सुन ले मेरे साजों को

दिखा रास्ता मुझे,

तुझे पाने के लिए क्या है मंजिल

ना समझ मुझे मुसाफिर अजनबी

तेरे लिए भटकता है ये दिल

और चाहत है मुझे तेरे जैसा हमसफर चाहिए

मुझे तेरे दिल मे घर चाहिए

चल कोई बहाना है तो बोल दे

मेरे शब्दों को तू अपने

दिल के तराजू से तोल ले

लेकिन मुझे कहने को ना कर एतराज

जो भी दिल मे है कैद उसे खोल ले।

आजकल तू सपनो में नही आती

क्या बात, नाराज है क्या?

ना ही पुकारती है मुझे भरम में मेरे

आजकल बे-आवाज है क्या?

मेरे ख्वाबो को भी ख्वाब नही रहने दिया

मेरी ख्वाहिशें दगाबाज है क्या?

बता मुझे क्यों?

क्यों तू सपने नही सजोती, ना संजोने देती है।

ना मेरी होती है, ना मुझे अपना होने देती है।

बता क्यों नही देती

ये कोई राज है क्या?

चल, मान ले भूल गयी तू

मुझे तो याद करने दे, मुझे तो ना रोक

मेरी फितरत नही की

सपने में भी अकेला छोड़ दूं तुझे

इस तरह मेरे सपनों को ना टोक

वैसे दिल दीवाना नही मेरा पागल है

जैसे फूलों के लिए तितली होती है।

याद में तेरी ये आंखे नम रहती है।

जैसे ड्यूटी जाता देख फौजी की मां रोती है।

ना आंखों में तकलीफ है, ना कोई गम

गर्व है कि ये भीगी जिसके लिए, उसके है हम

हालांकि ये नही पता कि

वो किसकी यादों में खोती है।

आजकल पैगाम के इंतजार में उनके

ना आंखे थकती, ना ये रात मेरी सोती है।

मुझे तेरे हर गम भी चाहिए,

साथ तेरे ही मगर चाहिए

मुझे तेरे दिल मे घर चाहिए

मैंने दिल को टटोला अपने

तेरे शिवा कोई था ही नही,

दिल के बाहर दस्तक दे रहे भले

मुझे तेरे शिवा कोई नही अंदर चाहिए

घर मे बना लूँगा, मुझे जमीन थोड़ा बंजर चाहिए

मुझे तेरे दिल मे घर चाहिए।



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