वोटों की अर्जी
वोटों की अर्जी
अब तक थी तो बात अर्ज धी,
अब हो गई वो बात फर्ज की।
बाकी रहा दिन एक है बस,
मानो दिवाली या क्रिसमस।
आठ से दस अब वोट जुटाओ,
यारी दोस्ती का फर्ज निभाओ।
कवि बने हैं उम्मीदवार,
करबद्ध हम करें प्रचार।
प्रश्न नहीं है जीत या हार,
ये काव्य पर्व का एक प्रकार।
अपने मत का दान करें,
कर्मकांड, अनुष्ठान करें।
कविता नीरस में रस लाती,
ज्यों मित्र हमारे दिया बाती।
कलम की ताकत अपरम्पार,
कर ना पाए जो तलवार।
कवि की पहुँच रवि के पार,
पर मित्रों में जीवन का सार।
अपने मत का करके दान,
करें काव्य पर्व का आह्वान।