सुकूं से इतना हूं कैसे बैठा?
सुकूं से इतना हूं कैसे बैठा?
हवा के झोंके ने आके पूछा,
सुकूं से इतना तू कैसे बैठा ?
बेसब्र हो गया, हो पत्ता पत्ता,
बेहोश सा हो, जो कूचा कूचा ?
सुकूं से इतना तू कैसे बैठा ?
हो छा रहा जब घना अंधेरा,
धुआं धुआं सा हो हर सवेरा,
सुकूं से इतना तू कैसे बैठा ?
हो हौसले जो टूटने को,
थका थका सा हो जत्था जत्था,
सुकूं से इतना तू कैसे बैठा ?
हो मर्ज का हल कहीं पे अटका,
हो रास्ता जो खुद ही भटका,
सुंकू से इतना तू कैसे बैठा ?
हो सहमा सहमा सा बच्चा बच्चा,
हो सूना सूना सा हर बगीचा,
सुकूं से इतना तू कैसे बैठा ?
मैं मुस्कुराके हवा से ब
ोला,
कुछ इस तरहा, से राज़ खोला,
सुकूं से इतना हूं कैसे बैठा ?
दवा दुआ सी दिल की दौलत,
हैं दोस्त मेरे बाद-ए-सबा भी।
बाद-ए-सबा = morning breeze
सुकूं से इतना हूं ऐसे बैठा।
हैं सब्र मेरे, ये रौशन सवेरे,
ये चिराग मेरे, जब हों अंधेरे।
सुकूं से इतना हूं ऐसे बैठा।
ये हौसले भी, हैं काफिले भी,
ये रास्ते भी, हैं मंज़िलें भी।
रुहानी रिश्ते, हैं ये फरिश्ते,
खैरो अमन हैं दिल में बसते।
सुकूं से इतना हूं ऐसे बैठा।
हवा के झोंके ने आके पूछा,
सुकूं से इतना तू कैसे बैठा ?
सुकूं से इतना हूं ऐसे बैठा।