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Pushkar Baranwal

Abstract

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Pushkar Baranwal

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नारी कितनी महान है तू

नारी कितनी महान है तू

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तू अद्भुत है, अकल्पनीय है।

तू ही स्मरण है तू विस्मरणिय है।

गर्मी में शीतल जल का उन्माद है तू,

सदियों से हारे इंसान के

जीत का स्वाद है तू। 


धीमे से जो छिड़े उस

वीणा की रागिनी है तू,

रावण भी ना छू पाए

उस राम की संगिनी है तू।


निराकार प्रेम ने आकर लिया हो

ऐसे स्नेह का साक्षात परिचय है तू

बहू, बेटी और मां का

बड़ा मनोरम विलय है तू। 


यम को भी जो जीत लिया

उस ब्रम्हा का वरदान है तू,

हाथ जोड़कर करूँ नमन,

ए नारी कितनी महान है तू।


तू धार है, आधार है, 

श्रृंखला है, प्रहार है।

सफलता की कुंजी है तू,

एक पिता के लिए

सदियों की पूंजी है तू।


भाई के रक्षाबंधन

का त्योहार है तू

इस धरती का सबसे

बड़ा उपहार है तू।


पति भले ही हो परमेश्वर,

पर उसका समूचा संसार है तू।

मा के माथे का स्वाभिमान है तू,

हाथ जोड़ कर करूँ नमन, 

ए नारी कितनी महान है तू।


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