पुरूषों का जीवन भी आसान नहीं
पुरूषों का जीवन भी आसान नहीं
हम एक स्त्री के विषय में अक्सर लिखते हैं उसका जीवन, किरदार,
मान,सम्मान,त्याग,जीवन की कठिनाईयां और परिवार के प्रति प्यार,
किंतु पुरुषों के किरदार उनके वज़ूद का कभी बखान नहीं करते हैं,
पुरुष पिता, बेटा, पति, भाई और भी कई किरदार बखूबी निभाते हैं,
एक पिता अपने बच्चों के लिए किसी सुपरमैन से कम नहीं होता है,
जीवन की तपिश सहता पर बच्चों को सदा शीतल छाया ही देता है,
बच्चों का भविष्य सुनहरा हो इसके लिए पिता जीवन भर दौड़ता है,
उम्र के आखिरी पड़ाव में भी केवल बच्चों के बारे में ही सोचता है,
मन से मजबूत होते हैं पुरुष, तकलीफ में भी कहां आंसू बहाते हैं,
ऐसा नहीं कि दर्द नहीं होता, परिवार के लिए हर दर्द सह जाते हैं,
एक बेटे के रूप में पुरुष माता-पिता और परिवार की ढाल होते हैं,
जरूरी नहीं हर बेटा बुरा हो जो माता पिता की सेवा नहीं करते हैं,
श्रवण कुमार जैसे भी हुए पुत्र,जिसके लिए माता-पिता सब कुछ थे,
एकं आदर्श पुत्र श्रीराम उनके त्याग,बलिदान को कैसे भूल सकते हैं,
एक पति के रूप में पुरुष कितनी परेशानियों का सामना करता है,
मां और पत्नी के बीच तो वो बेचारा जीवन भर पिसता ही रहता है,
सब कुछ सहता फिर भी पति और बेटे की जिम्मेदारियां निभाता है,
देखा जाए तो एक पुरुष का जीवन भी इतना आसान नहीं होता है,
एक भाई के रूप में पुरुष जीवनभर का सबसे अच्छा दोस्त होता है,
प्रत्येक मुश्किल घड़ी में एक भाई हौंसला बनकर साथ खड़ा होता है,
खुशनसीब होती हैं वो बहनें जिनके सर पर भाई का हाथ होता है,
भाई छोटा हो या बड़ा बहन के जीवन का अनमोल तोहफ़ा होता है,
स्त्री,पुरुष दोनों ही जीवन के अभिन्न अंग हैं, जो किरदार निभाते हैं,
किंतु रावण जैसे कुछ पुरुष तो अपना नाम स्वयं ही खराब करते हैं,
किंतु इसका अर्थ यह नहीं कि दुनिया के सभी पुरुष खराब होते हैं,
अगर रावण जैसे पुरुष है तो कुछ राम जैसे आदर्शवादी भी होते हैं,
अंत में बस यही कहना है पुरुषों को भी दर्द का एहसास होता है,
सभी किरदारों को निभाते हुए जीवन उनका भी कठिन होता है।
