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Krishna Bansal

Abstract

4.6  

Krishna Bansal

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चिट्ठी

चिट्ठी

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523


ज़्यादा पुरानी बात नहीं है, 

जब संचार का माध्यम 

केवल पत्राचार था 

साधारण भाषा में 

जिसे चिट्ठी, पत्र या 

खत कहा जाता था।

 

संदेश भेजने का यही 

एकमात्र ढंग था।


आपात कालीन स्थिति में 

होते थे टेलीग्राम भी 

अधिकतर चिट्ठी ही लिखी जाती थी

साधारण या एक्सप्रेस।

 

चिट्ठी बहुत छोटी, 

छोटी, लंबी और खूब लंबी

कई प्रकार की।


अनेक रसों से परिपूर्ण 

मन के भाव प्रकट करने के लिए

खुशियों भरे पत्र

उदासी भरे पत्र

प्रेम पत्र 

उपदेश भरे पत्र 

जोशीले पत्र

लड़ाई झगड़े वाले, 

मन मन्नौती वाले पत्र 

कुशल क्षेम पूछने वाले पत्र 

शादी ब्याह निमंत्रण पत्र

कितनी ही विविधता

सालों साल संभाल कर 

रखे जाने वाले पत्र 

उसी समय हवा में 

उछाल दिए जाने वाले पत्र।

 

प्रतिदिन डाकिए का 

बहुत बेसब्री से 

इंतजार होता था 

डाकिया साइकिल की घंटी बजाता

चिट्ठी बॉक्स में डाल कर 

आगे बढ़ जाता।

 

चिट्ठी खोलने से पहले 

दिल की धड़कन बढ़ जाती। 


चिट्ठी पढ़ते समय 

क्या क्या भाव चेहरे पर आते,

खुशखबरी आने पर चिट्ठी को 

चूम लिया जाता।

दुख भरी खबर पढ़कर 

आंखों में आंसू भर आते। 

प्रेम पत्र होता

छिपा लिया जाता।


आज की जेनरेशन क्या जाने चिट्ठियों के साथ 

उस पल में

बहना क्या होता है।


आज हमारी अभिव्यक्ति 

सिमट गई है 

व्हाट्सएप और सोशल मीडिया

मैसेजज़ की प्रतिक्रिया तक 

ब्यूटीफुल

अति सुंदर 

बहुत बढ़िया 

वेरी नाइस 

लाजवाब 

धन्यवाद 

संदेश पढ़ा

स्टिकर चिपका देना। 


पत्र युग के बाद आया

मोबाइल का ज़माना 

लंबी बात होना बंद हो गया था क्योंकि बात करते ही 

शुरू हो जाता था 

मीटर घूमना

जोकि उन दिनों बहुत महंगा था। 


अब टेलीफोन कंपनियों

की तरफ से सुविधा है, 

सस्ते में जितनी मर्ज़ी बात करो।


बात का स्तर है ही नहीं

अभिव्यक्ति के नाम पर 

विशेष रहा नहीं

उधार के मैसेजेज़

इधर से उधर 

उधर से इधर 

बेमतलब 

स्वयं पढ़ने में दिलचस्पी कम

फॉरवर्ड करने में अधिक। 


हर व्यक्ति बन बैठा है 

ज्ञानी ध्यानी 

फ्री का ज्ञान बांटते चले जाते हैं।


सुबह के संदेश  

शाम को डिलीट

शाम के संदेश 

सुबह को डिलीट

रजिस्टर कुछ होता नहीं।


चिट्ठी लिखना सदैव 

एक कला रही और 

सदियों तक रही

अब तो यह कला 

जैसे विलुप्त सी ही हो गई है।

सिकुड़ सी हो गई है 

सोशल मीडिया के चन्द शब्दों तक।


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