डिजिटल दुनिया(बच्चों पर असर)
डिजिटल दुनिया(बच्चों पर असर)
विज्ञान ने हर क्षेत्र में कर ली कितनी तरक्की,
विज्ञान पर ही तो चल रही दुनिया की चक्की,
तरह- तरह के गैजेट्स उपलब्ध हैं बाजारों में,
एक के बढ़कर एक गैजेट्स लगे हैं कतारों में,
छोटा, बड़ा, बूढ़ा,जवान सब इसके हैं दीवाने,
गैजेट्स के बिना रहना अब ये दुनिया न जाने,
विज्ञान की तरक्की ने तो रोबोट भी बना दिया,
और गैजेट्स ने इंसान को डिजिटल बना दिया,
बच्चों पर इन गैजेट्स का हुआ अधिक असर,
कब इसके आदि हो गए लगी न इसकी खबर,
गैजेट्स ही बन गई है आज बच्चों की मुस्कान,
इनकी जादूगरी में ही बसती है बच्चों की जान,
टच स्क्रीन यूज़ करते करते अटैचमेंट कहां रहा,
गैजेट्स में बनी बच्चों की दुनिया टच कहां रहा,
पढ़ाई लिखाई खेल स्कूल सब हो गए डिजिटल,
संपूर्ण विश्व खेल रहा आज ऑनलाइन का खेल,
मोबाइल, लैपटॉप में दिनभर आंखें गड़ाए रखते,
हेडफोन लगा कानों में अपनी ही दुनिया में रहते,
दोस्त मिल जाते हैैं व्हाट्स ऐप और फेसबुक पर,
हंसना,बोलना भी अब करते हैं वीडियो कॉल पर,
कभी ब्रांड तो कभी फीचर्स के पीछे भाग रहे हैं,
दिन प्रतिदिन बच्चे गैजेट्स में ही तो समा रहे हैं,
खाना -पीना भूलकर वो सरपट उंगली चलाते हैं,
खाने का स्वाद भूलकर गैजट्स का स्वाद लेते हैं,
छोटे-छोटे बच्चों को भी लत लग चुकी है इसकी,
चकाचौंध कर रही बच्चों को, दुनिया गैजेट्स की,
जी रहे बच्चे इनके साथ सुबह, शाम,रात,दोपहर,
स्वास्थ्य पर पड़ रहा है जिसका बहुत बुरा असर,
आधुनिकता की दौड़ में बच्चे अंधाधुंध दौड़ रहे हैं,
दादी,नानी की कहानियों से दूर डिजिटल हो रहे हैैं,
गैजेट्स के अनियंत्रित उपयोग हो रहा है नुक़सान,
ये जानकर भी हम सब क्यों बने रहते हैं अनजान,
पेरेंट्स भी तो हैं मजबूर दुनिया के साथ चलने को,
चाहकर भी गैजेट्स से दूर न कर पा रहे बच्चों को,
हाईटेक होते ज़माने में हर चीज ऐप में उपलब्ध है,
बच्चों को पूरी तरह उनसे दूर करना भी असंभव है,
पर इस्तेमाल की समय सीमा तो तय कर सकते हैं,
सीमित इस्तेमाल सिखाकर जागरूक कर सकते हैं,
जब सभी पेरेंट्स जागरूक होकर ये कदम उठाएंगे,
तभी गैजेट्स के दुष्प्रभाव से बच्चों को बचा पाएंगे।