उदास मत होना प्रिये
उदास मत होना प्रिये
उदास मत होना प्रिये
तुम्हें कसम है -
कि हमने प्यार किया है।
उदास मत होना प्रिये
माना हमने कौल लिया था
हाथों में हाथ लिए जीवन भर चलने का,
सांसों में घुलने का
आंखों में बसने का
सपनों को जी भर कर जीने का,
चटखती धूप में
इक दूजे का साया बनने का ,
एक छाते के नीचे
बारिश को झेलने का ,
सर्दियों की ठिठुरन को प्यार से ओढ़ने का।
कौल लिया था
होंठों की हंसी को चुकने न देने का
आंखों की नमी को सूखने न देने का
दिल को टूटने न देने का
एहसासों को रूठने न देने का।
उदास मत होना प्रिये
न चाहते भी
दूरियां –
उग आई हैं नागफनी के जंगल सी,
पल रही हैं आंखों में
न देखे जा सकने वाले सपनों सी,
घिर रही हैं
न बरसने वाले बादलों सी,
चुभ रही हैं
आंख की किरकिरी सी,
घुट रही हैं
होंठों में बंद छटपटाती हंसी सी,
छा रही हैं
मन के कोने में घर किए मायूसी सी।
उदास मत होना प्रिये
तुम्हें कसम है -
आंसुओं को सहेज कर रखना
कि गिरने से पहले
थाम सकूं मैं अंजुरी में।
कसम है -
होंठों पर पपड़ियां न जमने देना
कि मेरे छूते ही
ख़ून की बूंदें टपकने लगें।
कसम है -
सपनों को देना पंख नए
कि हम उन्हें उड़ा सकें परिंदों की तरह
खुले आसमान में।
सांसों की बेबसी
को भी घोल दें हवाओं में।
उदास मत होना प्रिये
तुम्हें कसम है
आओ फिर कौल लें -
कनबतियां कहते
हाथों में हाथ लिए बैठे रहें रात रात भर
मुंडेर पर।
चल पड़ें उजली पगडंडी धर
उस अनजान सफ़र पर
जिस पर साथ साथ चलने का कभी
हमने कौल लिया था।
उदास मत होना प्रिये
तुम्हें कसम है -
हमने प्यार किया है
