कट्टी - बट्टी ,, प्रॉम्प्ट २९
कट्टी - बट्टी ,, प्रॉम्प्ट २९
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पल में कट्टी पल में बट्टी
बचपन की प्रीत निराली।
आंखों में शरारत वाली
होंठों पर मुस्काऩों वाली
कुछ पल की, या
कुछ दिन की कट्टी वाली
रीत निराली।
गुस्से से गाल फूलते
गप - शप पर पड़ता ताला
झट मुस्काती
बैर भुलाती, कट्टी की है ये
जीत निराली
पल में तोड़ें पल में जोड़ें
बचपन की है रीत यही
कट्टी - बट्टी की
डोरी से बंधती, बचपन की
प्रीत निराली।