किताबें
किताबें
एक अरसे से
ताक पर करीने से सजी, उकताई किताबें
चाहती हैं
मेज़ पर एक बार फ़िर बेतरतीब बिखरना
और धूल में
अपने होने के निशान छोड़ना
बिस्तर पर पसरना
चादर की सलवटों में छुपना
किसी की छाती पर
औंधे पड़ना और मीठी नींद में खो जाना
अब
किताबें भी सपने देखती हैं !