भटकता नौजवान
भटकता नौजवान
बेरोजगारी एक समस्या जिसका
नहीं कोई निदान।
सिर्फ जन जन जागरण ही
बेरोजगारी महामारी का हल निदान।।
शिक्षा के मंदिर बन गए व्यवसाय
शिक्षा केवल पैसे वालो को गाँधी
की बेसिक शिक्षा नीति बेकार।।
मैकाले ने खेला खेल भारत का
नौजवान नौकर बनकर ग़ुलाम
परम्परा का रहे पर्याय।।
कान्वेंट संस्कृति सांस्कार ने
कर दिया बंटाधार बेरोजगारी
बेरोजगार हिंन्दुस्तान ।।।
समस्या नही कोई समाधान
नौजवान लड़ता जीवन संग्राम।।
बचपन किशोर युवा शिक्षा दीक्षा
कठिन परीक्षा प्रतियोगिता
प्रतिस्पर्धा की मार।।
अच्छे विद्यालय, अच्छी शिक्षा
आवश्यक आवश्यकता दरकार।।
माँ बाप की आर्थिक स्तिथि चाहे हो
जो भी करते सारे प्रायास।।
जो भी हो कुलदीपक की बेहतर
शिक्षा दीक्षा पर सब कुछ न्यवछावर
करते बस एक विश्वास।।
पढ़ लिख कर बेटा कुल गौरव
मान बेटे भी माँ बाप की अभिलाषा
विश्वास पर मर मिटते खरे उतरने की
खातिर करते सारे प्रयत्न प्रायास।।
पढ़ लिख कर फिर लड़ते रोजी रोटी
रोजगार का संग्राम ।।।
रोजगार निश्चय मिले सरकार का
आश्वासन नौजवान आस्था विश्वास।।
डिग्री के बंडल लेकर रोजगार की
खबरे पढ़ता दिन रात।। &nbs
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आवेदन करता रोजगार अवसर
सीमित आवेदक की भरमार।।
रोजगार की तलाश में बेरोजगार
नौजवान बूढ़ा सा दिखने लगता
हताश निराश नौजवान ।।।
नौकरी की मारा मारी भविष्य के भय
भ्रम संसय जीना मजबूरी की मार।।
खोजता स्वरोजगार बाधाओं
अनेक सीमित संसाधन की मार।।
बेवस विवश लाचार दर दर की
ठोकर खाता नौजवान।।।
सरकार भाग्य भगवान कोसता
समय वक्त काल का
विद्रोही राष्ट्र भविष्य का नौजवान।।
माँ बाप की आशाओं की आंखे
पथराई खोजती कुलदीपक की
पैदाईस की खुशियों का यथार्थ।।
माँ बाप लाचार बेटा करता हर
सम्भव ईमानदार प्रायास ।।।
लेकिन प्रतियोगी प्रतिस्पर्धी जीवन मे
कही घालमेल से घायल मन मे
प्रतिघर्षन की अग्नि आँगर।।
सच्चाई आदर्श शिक्षा दीक्षा का
कर देता त्याग चाहे जैसे भी हो
आय चल पड़ता अंतर्मन की वेदना
लिये साथ।।
रोजगार में बाधक बढ़ती
जनसंख्या क्या करे सरकार
सीमित संसाधन बेरोजगारों
की भरमार।।
नौजवान अपराध की दुनियां में
कदम रखते आतंक खौफ का पर्याय।।
बेरोजगारी बेरोजगार जैसे
महामारी ना कोई टिका ना
कोई सांस्कार व्यवहार मास्क।।
नहीं चुप रख सकती दूरी मजबूरी जिंदगी
मौत से निर्भय प्रतिदिन बेरोजगारी की
बीमारी से लड़ता जीवन संग्राम बेरोजगार नौजवान।।