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Dr Narendra Kumar Patel

Abstract Inspirational

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Dr Narendra Kumar Patel

Abstract Inspirational

ग़ज़ल

ग़ज़ल

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साहित्य दुनिया में, अभी बच्चा हूं।

अक्ल का थोड़ा सा,अभी कच्चा हूं।।


माफ़ करना, हो भी ग'र गुस्ताखियां।

साफ मन है वचन, दिल का सच्चा हूं।।


कुछ लफ़्ज़, मोती सा चुनक'र रखता हूं।

यह कह नहीं सकता, कि बहुत अच्छा हूं।।


मालिक मिरे मुझको, मज़ह'ब न पता है।

मैं सिर्फ इक इंसान का बच्चा हूं।।


इस वतन के लिए सर कटा सकता हूं।

'साहिल'ए हिन्दोश्तानी सच्चा हूं।।


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