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Dinesh Dubey

Abstract

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Dinesh Dubey

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मिलावट

मिलावट

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मिलावट का जमाना है ,

मिलावट बिना कुछ होता नहीं,

दूध में मिलावट ,घी में मिलावट ,

मिलावट है हर खाने पीने में ।


मिलावटी अब रिश्ते हो गए ,

वक्त के हिसाब से सब बदल गए।

मिलावटी है सरकार भी बनती ,

वादों के अलावा कुछ ना करती,।


मिलावट अब प्यार में भी हो गई ,

पैसे से अब जिंदगी भी बदल गई ,

मिलावटी अब रिश्ते भी बिकते ,

मिलावटी अब सहन से चलते।


मिलावट अब इतनी बढ़ गई,

असली को भी नकली कर गई,

मिलावट के अब सामने तो सब ,

टिकते नही है असली अब ।



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