मुक्तक
मुक्तक
इक पत्थर तलाशा था तेरी मूरत बनाने के लिए।
तू खुद ही पत्थर बन गयी किस्मत सजाने के लिए।।
तेरी तस्वीर लेकर क्या करुं....है मेरे किस काम की।
दिल के निलय बैठी..अपनी खुशियाँ लुटाने के लिए।।
इक पत्थर तलाशा था तेरी मूरत बनाने के लिए।
तू खुद ही पत्थर बन गयी किस्मत सजाने के लिए।।
तेरी तस्वीर लेकर क्या करुं....है मेरे किस काम की।
दिल के निलय बैठी..अपनी खुशियाँ लुटाने के लिए।।