आबोहवा में ज़हर घुल रहा
आबोहवा में ज़हर घुल रहा
आबोहवा में.....ज़हर घुल रहा।
चारों दिशा में...चिता जल रहा।।
डाक्टर ही.....आज भगवान हैं।
इनके बदौलत ...जहाँ चल रहा।।
पेड़ों ने बाटें ......बहुत मुफ्त में।
दौलत लुटा के....नहीं मिल रहा।।
नज़'र में किसी के.....है आता नहीं।
मगर हर पल .....कोरोना चल रहा।।
'साहिल' शहर में..सभल के निकल।
हर गली मौत का...कहर चल रहा।।