STORYMIRROR

Sudhir Srivastava

Abstract

4  

Sudhir Srivastava

Abstract

वक्त मिले तो पढ़ लेना

वक्त मिले तो पढ़ लेना

1 min
305


एक गुजारिश आप सबसे है

शायद आपके लिए मुश्किल भी है,

फिर भी अपनी बात रखता हूँ

आप सबसे कहता हूँ

समय निकालने के लिए नहीं कहता हूँ।

गलती से भी यदि कहीं थोड़ा सा 

वक्त मिले तो पढ़ लेना

अपने जीवन के पुराने पन्नों को

और विचार करना उन बीते हुए लम्हों में

अपनी कारगुजारियों के बारे में।

क्या सही, क्या ग़लत था?

क्या कठिन, क्या सरल था?

क्या कर्तव्य, क्या अधिकार था?

क्या जरुरी, क्या बेकार था?

क्या जिम्मेदारी थी और क्या जरुरी था?

क्या गैर जरूरी और क्या मजबूरी थी?

न किसी से कुछ कहना है, 

न किसी को कुछ बताना है

न सफाई देना, न मजबूरी बताना है

न संकोच करना है, न शर्मिंदा होना है

सब कुछ खुद ही जानकर रह जाना है

अपने आप से ही सवाल जवाब करना है।

बस! वक्त मिले तो पढ़ लेना भर है

न पढ़ने के लिए वक्त नहीं मिला का

बहाना भी तो भरपूर है,

पर इसमें भला आपका कसूर क्या है?

सारा का सारा कसूर वक्त का है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract