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मिली साहा

Abstract

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मिली साहा

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नई शुरुआत नई मैं

नई शुरुआत नई मैं

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कुछ खट्टी कुछ मीठी यादों के साथ गुज़र गया ये साल भी,

थोड़ी सी अनबन भी रही ज़िंदगी से तो कुछ मिले ताल भी,


नया साल, नई शुरुआत है कुछ नया नया सा जुड़ा मुझ में,

बहुत कुछ जाना, सीखा, कुछ नए दोस्त मिले बीते साल में,


भुलाकर बीते वर्ष की सभी कड़वाहटों को, आगे बढ़ना है,

नया साल नया आगाज़ है, तो मुड़कर पीछे क्यों देखना है,


पूरी न हुई कोई ख्वाहिश गर, तो है अब मुझे घबराना नहीं,

शायद ईश्वर ने सोच रखा है मेरी खातिर इससे बेहतर कहीं,


हमेशा कोशिश रहेगी, किसी के आँसुओं की वज़ह ना बनूँ,

नकारात्मकता की ओर ले जाए जो, मैं ऐसी सुबह ना बनूँ,


वक़्त और हालात कैसे भी हो जाएं, चलूँ सच्चाई की राह,

जिस राह बिछे हों सिर्फ झूठ के फूल, मैं ऐसी राह ना चलूँ, 


लिख सकूँ थोड़ी मुस्कुराहट, ज़िंदगी के मुरझाए पन्नों पर,

मेरे शब्दों से किसी कोई आघात हो, मैं ऐसी कलम न बनूँ,


रिश्तों को तोड़ने की नहीं, जोड़ने की सदा कोशिश रहेगी,

अपनो को जो अपनों से अलग करे, मैं ऐसी दीवार न बनूँ,


सफलता की सीढ़ियों पर चढ़ना नहीं, किसी को गिराकर,

दूसरों की तकलीफ़ पर जश्न मनाए जो, वो आधार न बनूँ,


नई शुरुआत, नई मैं, सफर वही, पर होगी अब नई बारिश,

बस ऐसे ही कट जाए यह सफ़र, ईश्वर से है यही गुजारिश।


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