STORYMIRROR

Shailaja Bhattad

Abstract

4  

Shailaja Bhattad

Abstract

मुक्तक- हिन्दी भाषा

मुक्तक- हिन्दी भाषा

1 min
242

मुक्तक- हिन्दी भाषा

---------

उज्ज्वलता का गान है ।

 हिंदी के विश्वास का मान है।

 संपर्क सूत्र बन छाई विश्व पटल पर।

गौरव ताज हमारा सबका सम्मान है।

-----------------

 हवा में स्पंदित हो रही।

जीवन शैली बना रही।

 प्रचुर साहित्य की धनी 

 प्रथम राजभाषा का गौरव पा रही।

------------

अनुवाद की नहीं संवाद की भाषा है।

 राष्ट्रभाषा बने हिंदी सबकी अभिलाषा है।

हर अग्नि परीक्षा पार करने वाली।

 जन-जन की प्यारी हिन्दी भाषा है। 

-----------

अपने नाम कई कीर्तिमान दर्ज करा आई है।

 अपना दबदबा यूं ही नहीं बनाई है।

राजभाषा से राष्ट्र भाषा का सफर। 

 हिंदी की हो रही माउंट एवरेस्ट चढ़ाई है।

--------


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract