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Shailaja Bhattad

Abstract

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Shailaja Bhattad

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जय जय श्रीराम

जय जय श्रीराम

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प्रभव भी तू, प्रलय भी तू। साधना का साधन तू। प्रवाह तू विराम तू। मेरे हर भाव का कारण तू। भक्ति भी तू, शक्ति भी तू। मेरे कर्मों से मुक्ति तू। साहस भी तू, सहजता भी तू। मेरी जीवन्तता का एहसास है तू। जीवन का प्रकाश तू, विचारों का पोषक तू। मेरी संपूर्णता में तू ही तू। मेरा संतुलन तू, मेरी प्रगति तू। मेरे जीवन का सिद्धांत तू। मेरा सम्मान तू, मेरी मुस्कान तू। पग-पग पर मेरा सहायक तू। मेरे विचारों में तू, मेरा आदर्श है तू। मेरे अस्तित्व का संरक्षक तू। मेरी श्रद्धा में तू, मेरी कृतज्ञता में तू। मेरे हर दिव्य एहसास का कारण तू। मेरी समृद्धि तू, मेरा आनंद तू। मेरे हर अविश्वास का निवारक तू।


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