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Shailaja Bhattad

Abstract

4  

Shailaja Bhattad

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हे प्रभु

हे प्रभु

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तू ही मेरा आधार प्रभु… तू ही मेरा उद्धार प्रभु… जग में जो कुछ सत्य है, सबका तू ही सार प्रभु… ॥ ------ प्रभव भी तू, प्रलय भी तू। साधना का साधन तू। प्रवाह तू विराम तू। मेरे हर भाव का कारण तू। भक्ति भी तू, शक्ति भी तू। मेरे कर्मों से मुक्ति तू। साहस तू, सहजता तू। मेरी जीवन्तता का एहसास है तू। ----- विचार तू, प्रकाश तू। मेरी संपूर्णता में तू ही तू। संतुलन तू, प्रगति तू। मेरे जीवन का सिद्धांत तू। -------- सम्मान तू, मेरी मुस्कान तू। पग-पग पर मेरा सहायक तू। श्रद्धा में तू, कृतज्ञता में तू। मेरे हर दिव्य एहसास का कारण तू। ------ समृद्धि तू, आनंद तू। मेरे हर अविश्वास का निवारक तू। ध्येय तू, धारणा तू । मेरे स्मरण का केंद्र भी तू। ----- उल्लास तू, उत्साह है तू। जीवन का उजियारा तू। मेरी वाह में तू, उल्लास में तू। मेरी आह का निवारक तू। ######## डॉ शैलजा भट्टड


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