हर मन सुख अभिलाषा पृथक -पृथक परिभाषा, हर मन सुख अभिलाषा पृथक -पृथक परिभाषा,
कोमल ह्रदय मेरा है फूलों सा, उस पर दोनों रौब जमाते है। कोमल ह्रदय मेरा है फूलों सा, उस पर दोनों रौब जमाते है।
सच्चा प्यार करने वालों का साथ कभी न छूटे इक दूजे से जीवन में कोई कभी नहीं रूठे सच्चा प्यार करने वालों का साथ कभी न छूटे इक दूजे से जीवन में कोई कभी नहीं रूठ...
मेरी दुआएँ रंग लाएंगी तुम को मिलेंगी ख़ुशियाँ ही ख़ुशियाँ ग़म का नामो निशान न हो मेरी दुआएँ रंग लाएंगी तुम को मिलेंगी ख़ुशियाँ ही ख़ुशियाँ ग़म का नामो ...
पोथी पढ़-पढ़ नहीं लगेगा जीवन का अनुमान यहाँ चेहरे से चेहरे की करना मुश्किल है पहचान यहाँ अ... पोथी पढ़-पढ़ नहीं लगेगा जीवन का अनुमान यहाँ चेहरे से चेहरे की करना मुश्कि...
नहीं माँगता ख़्वाब खजाना एकांत में साथ हो बस तेरा नहीं माँगता ख़्वाब खजाना एकांत में साथ हो बस तेरा