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Pushp Lata Sharma

Abstract

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Pushp Lata Sharma

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गीत

गीत

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मत देखो तुम इन हाथों की

छोटी बड़ी लकीर सखे

कुर्सी- कुर्सी घूम रही है

जीवन की तकदीर सखे


सबका का लेखा लिखने वाले

ऊँचे कुछ अधिकारी हैं

सपनों को जो बेच रहे हैं 

अजब -गजब व्यापारी हैं

मोल न समझें जो जीवन का

देते पग-पग पीर सखे....!


पोथी पढ़-पढ़ नहीं लगेगा

जीवन का अनुमान यहाँ

चेहरे से चेहरे की करना

मुश्किल है पहचान यहाँ

अनुभव की सीढ़ी पर चलना

होना नहीं अधीर सखे...!


केवल धन दौलत को जिसने 

ईमान न अपना छोड़ा

मोह-पाश का बंधन जिसने

कर्मों से अपने तोड़ा

उसके हिस्से में आयी है

सुनो खुशी की खीर सखे....!


समय पूर्व जो समझ गया है

चक्रव्यूह की भाषा को

वह इंसान पूर्ण कर लेता

जीवन की अभिलाषा को

रुपया पैसा,बँगला  पाकर हुआ अमीर सखे.....


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