सपनों का नीड़ सजाती हूँ
सपनों का नीड़ सजाती हूँ
रोज सुबह बाहर जाती हूँ, तब थोड़ी खुशियाँ लाती हूँ।
दाना पानी जीने भर का ऐसे ही थोड़ी पाती हूँ।
अपनी मदद आप ही करना, हर दिन खुद को समझाती हूँ।
मुश्किल नहीं जिन्दगी में कुछ, ऊपर उड़कर दिखलाती हूँ।
तिनका-तिनका "पुष्प" जोड़ कर, सपनों का नीड़ सजाती हूँ