यहाँ भगवान बिकता है
यहाँ भगवान बिकता है
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कहीं सामान बिकता है कहीं सम्मान बिकता है।
कहीं इंसानियत बिकती कहीं इंसान बिकता है।
अजब बाजार है दुनिया जहाँ मिट्टी से मूरत गढ़-
विधाता के कई रूपों में' अब भगवान बिकता है।