STORYMIRROR

Pushp Lata Sharma

Action Classics Inspirational

4  

Pushp Lata Sharma

Action Classics Inspirational

नारियाँ

नारियाँ

1 min
778

वतन पर आँच जब आई,

घरों से नारियाँ निकली

बचाने देश को अपने,

भुला रानाइयाँ निकली


लिये तलवार हाथों में,

लहू से सींचती वसुधा

रखे ललकार होठों पर,

पुरुष के दरमियाँ निकली


उठी जब लोलुपी आँखें,

न घबड़ाई तनिक भी

वेकलम कर

धड़ दुसासन का,

उड़ाती धज्जियाँ निकली


सुनहरी भोर जब आई,

लिए खुशियों की सौगातें 

दबाकर पाँव को अपने,

ग़मों की बदलियाँ निकली


हुआ कानून अंधा जब,

तो फिर इंसाफ की खातिर

उठा कर लाज का घूंघट,

घरों से बेटियाँ निकली


नहीं कमजोर तुम आँको,

किसी भी पुष्प को ऐसे

किया है सामना उसने,

यहाँ जब आँधियाँ निकली।


विषय का मूल्यांकन करें
लॉग इन

Similar hindi poem from Action