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Pushp Lata Sharma

Romance

4.5  

Pushp Lata Sharma

Romance

मुहब्बत में सभी शैतानियाँ अच्छी लगीं मुझको

मुहब्बत में सभी शैतानियाँ अच्छी लगीं मुझको

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तुम्हारे इश्क में रानाइयाँ अच्छी लगीं मुझको।

उतरती डूबतीं ये कश्तियाँ अच्छी लगीं मुझको।


पकड़ कर हाथ हाथों में घुमाया जब मुझे तुमने

तुम्हारे गाँव की अमराइयाँ अच्छी लगीं मुझको।


लिफाफों में गुलाबी गुल भरी वो भाव की माला

मिली सौगात में वो चिट्ठियाँ अच्छी लगीं मुझको।


बहुत चाहा कि हो जाऊँ कभी नाराज़ मैं तुमसे

मुहब्बत में सभी शैतानियाँ अच्छी लगीं मुझको ।


बरसते अश्क़ आँखों से घटा बनकर जो सावन में,

ख़यालों में तुम्हारे सिसकियाँ अच्छी लगीं मुझको।


फ़िज़ा रंगीन गुलशन की बहकते पुष्प भी सारे,

भ्रमर के साथ उड़ती तितलियाँ अच्छी लगीं मुझको।



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