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Rahul Kumar

Romance

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Rahul Kumar

Romance

मैं तेरे प्यार में पागल प्रेम कविता राहुल कुमार

मैं तेरे प्यार में पागल प्रेम कविता राहुल कुमार

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मैं तेरे प्यार में पागल घूमता रहता हूँ,
चाँद सितारों से तेरी बाते करता रहता हूँ,
सावन के झूलो में बैठकर तेरा इंतजार करता हूँ,
आते जाते डाकियों से तेरे ख़त का पैगाम पूछता रहता हूँ,
मैं तेरे प्यार में पागल घूमता रहता हूँ।

किसी दिन तू नज़र आये तो तेरी शिकायत करू,
ना जाने कितने दिनों से तेरी राह देखता रहता हूँ,
इन पंछियो से तेरी ही बाते करते रहता हूँ,
बादलों में तेरी तस्वीरें बनाकर तुझें प्यार करता हूँ,
मैं तेरे प्यार में पागल घूमता रहता हूँ।

घर की खिड़कियों में बैठकर तेरी राह देखता रहता हूँ,
बागान में खिले फूलों से तेरी खुश्बू की महक आती हैं,
घर के आँगन में तेरे नाम का रंगोली बनाते रहता हूँ,
मंदिरो में तेरे नाम का दिया जलाते रहता हूँ,
मैं तेरे प्यार में पागल घूमता रहता हूँ।

गाँव के हरियाली खेतों में खेलते हुए कभी-कभी तू नज़र आती हैं,
पेड़ो के झांव में लेटा हुआ तेरे सपने देखता रहता हूँ,
प्रेम के मंदिर में तेरी मूरत को पूजते रहता हूँ,
मैं तेरे प्यार में पागल घूमता रहता हूँ।
मैं तेरे प्यार में पागल घूमता रहता हूँ..।।

लेखक - राहुल कुमार


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