मन की प्यास
मन की प्यास
अंतर मन की प्यास बुझा दे वो पागल कौन है
मुझ बिन जिंदा न रह पाएँ ऐसे कायल कौन है।
साधना हो इस जीवन की तेरे बिन न जी पाऊँगी
तुम मेरा विश्वास हो प्राणों से कोमल कौन है।
जब ये दर्पण ख़ुद पूछेगा चेहरे की हँसी कहाँ
बस तू इतना ही बता मुझ सा ये निश्छल कौन है।
जब श्रृंगार भरा यौवन लिखती हूँ गीत बन जाते है
हो रही बरसात रस की मन से निर्मल कौन है।
पेड़ो के नीचे मखमली दूब पर चलते रहे
अँधेरों में आया सुनहरा सा ये बादल कौन है।
चाँद-सितारों जड़ी चुनर में देख चितवन तेरी
मन नदी सा लहराये ले के आया आँचल कौन है।
मन भोला भावुक मेरा चपला चंचल अंगड़ाई सा
आँखों के काजल में छिपकर कर दे घायल कौन है।
गीतों में है रैन बसेरा एक पहर बीत जाने दो
फिर कोई नहीं पूछेगा "नीतू "ग़ज़ल कौन है।
गिरह
बात तुम्हारी नहीं शिकायत है ज़माने से मुझे
ढूँढिये इस शहर में इंसा मुकम्मल कौन है।

