*हमारी सरकार*
*हमारी सरकार*
राय तुम्हारी सच्ची बिलकुल साफ़ थी सरकार
मगर हमारे दिमाग की बत्ती आफ़ थी सरकार।
तुम सजा लाये थे पैराहने-रंगी हीरो जड़ा
मैं खजालत का ओढ़े लिहाफ़ थी सरकार।
फ़ालतू इल्तिज़ाम की जहमत उठाता न कोई
ज़ुबान-ए-ख़ल्क़ मेरे खिलाफ़ थी सरकार।
इच्छाओं के सुंदर पेड़ लगाये थे हमने भी
दीनों-दिल-अज़ीज कली जरीफ़ थी सरकार।
दर-हकीक़त दामन से पाक थी मैं
खुशमिज़ाज नेक सीरत ताफ़ थी सरकार।
अब्र में महर-ओ-माह कहाँ आते है नज़र
नीतू के शख़्सियत की ख़ास औसाफ़ थी सरकार।