सातवां नवरात्रा मां कालरात्रि
सातवां नवरात्रा मां कालरात्रि
नवरात्री की सप्तमी तिथि मां कालरात्रि के नाम से ही जानी जाती है
रूप भयानक ,बाल बिखरे और गले में मुंड माला पहने देखी जाती है ।
त्रिनेत्र मां के ब्रह्माण्ड के समान गोल, सांसों से नारंगी अग्नि निकलती रहती है
ज्ञान का प्रतीक हैं मां बहुत ज्ञानी शुभ फल देने के कारण शुभंकरी कहलाती है।
मां कालरात्रि की उपासना से ब्रह्मांड की सारी सिद्धियों के दर खुल जाते है
असुर शक्तियां मां के नाम उच्चारण से भयभीत होकर दूर भागने लग जाती है।
रक्तबीज को वरदान था जहां गिरे रक्त हर बूंद से नया रक्तबीज जन्म ले लेगा
मां कालरात्रि ने तो गर्दन काटकर खप्पर में रखी और सारा रक्त ही पी जाती है ।