कुष्मांडा मां की पूजा
कुष्मांडा मां की पूजा
अचंचल और पवित्र मन से नवरात्रे के चौथे दिन माता कुष्मांडा की आराधना करना चाहिए
इससे रोगों का नाश होगा इनकी सच्चे मन से सेवा करके बल और आरोग्य प्राप्त करना चाहिए।
आधियों व्याधियों से मुक्त करके माता सबको सुख समृद्धि और उन्नति प्रदान करती है
इसलिए माता कुष्मांडा देवी की उपासना के लिए साधक को तत्पर तैयार रहना चाहिए।
माता कुष्मांडा देवी का वाहन सिंह है इन्हे कुमड़े की बलि सर्वाधिक प्रिय है
इसलिए आज चौथे दिन पैठे और मालपुए का भोग अर्पित करना चाहिए।
सूर्यलोक में रहने की क्षमता केवल इन्हीं के पास है ब्रम्हांड की निर्माता और ऊर्जा का ये स्त्रोत है
हरे रंग के आसन पर बैठकर कुष्मांडा: ऐं ह्री देव्यै नम: मंत्र से मां का जाप करना चाहिए।
सात हाथो में अस्त्र शस्त्र और आठवें हाथ में सिद्धियों के देने वाली जप की माला है
लंबी बीमारी से ग्रस्त जन को मां से निवेदन करके अच्छे स्वास्थ्य की कामना करना चाहिए
माता कुष्मांडा के शरीर की कांति और प्रभा सूर्य की भांति *नीतू* आलौकिक दैदीप्यामान है
*पीला* आनंद व प्रफुल्लता का प्रतिक है इसलिए पीले पीतांबर से आज मां का श्रृंगार करना चाहिए।