छल -कपट
छल -कपट
जाने क्यों लोग छल -कपट किया करते हैं।
ख्याति पाना ही सब कुछ समझ लिया करते हैं ।।
तमन्ना नहीं है कि दुनिया मुझे कुछ भी दे।
आरजू इतनी है कि सभी को नेक दिल बना दे ।।
झूठे सपनों में जो भी जिया करते हैं ।
अंतरात्मा मलिन कर , वो ही रोया करते हैं ।।
क्यों नहीं वह सीखता पेड़ ,पौधों और पशुओं से।
जो नि:स्वार्थ सर्वस्व अपना लुटाया करते हैं।।
अभी भी समय है चेत जा हे! प्रभु की अमूल्य कृति।
"नीरज" तो बस दूसरों के लिए ही लिखा करते हैं।।
