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Nitu Rathore Rathore

Abstract Romance Inspirational

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Nitu Rathore Rathore

Abstract Romance Inspirational

हंगामा गजल

हंगामा गजल

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बचपन के प्यार को तूने जब से भुला दिया

आये जो तेरे शहर में हँगामा मचा दिया।


सो जा की आज दिन में भी छायीं है धुंध ज़रा

अहसान फ़िर उमर भर का तूने जता दिया।


ख्वाहिशें हर वक्त यूँ सताती रही बहुत

जुदाई के लम्हों ने क्यूँ हर रंग दिखा दिया।


अपनी नज़र में हर ग़म का आँसू पी लिया

दोस्त समझ के साथ ज़माना छुड़ा दिया।


हमने तो हर शख़्स को कही दर-बदर देखा

क़िरदार दर्द, खुशियों में अपना निभा दिया।


फूलों भरी डगर पे कभी साथ-साथ थे

ज़ख़्मों पे जगह-जगह तूने शीशा चुभा दिया।


अपने हुनर से हरेक के दिल बाग-बाग है

अधूरे थे ख़त जवाब हमने तो पूरा दिया।


सब कुछ खो दिया वो नया फ़न सीखा गया

पत्थर को हाले दिल प्यार से सुना दिया।


तकलीफ़ देते है लोग क्यूँ अपना बना के भी

जज़्बात लिख के अल्फ़ाज यूँ बना दिया।


ख़ुदा से माँग ली हर ख़ुशी तेरे वास्ते

हँसी चेहरे पे तेरे ग़म को "नीतू "का पता दिया।


गिरह


ज़ालिम वक्त चला क़े मना लूँ ज़रा-ज़रा

सागर में जा समाये वो जज़्बा जगा दिया।



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