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jagjit singh

Abstract

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jagjit singh

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मुराद

मुराद

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बस दिल चाहता है तो, तू मिलेगा, 

कहीं पर भी हो, मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा,...... 

मैखाना, बाजार, आतंकवादी,...रेगिस्तान, श्मशान, 

बस दिल चाहना है, और ऐसा चाहना है कि, होश खोना है,सब भूल जाना है,..... 

जैसा साँस लेने मे मुश्किल होना जैसा, 

चांद मिला हो,.... जैसा मन मंदिर से जुगनू उड़ जाते वक़्त, अपने आप को देख, 

एक थकान की मुस्कराहट आती है,.... 

अजनबी, तेरा दर्शन हुआ, 

लेजा यार, मेरे,.... अब जीना नहीं, 

तब क्या होगा,........ तेरी यारी मिलेगा,..... चाहो जियूं ,

या मरुं ,.... सुकून मिलता है,...... अब कोई मुराद नहीं,...... जो चाहे होले. 



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